
VIRAT PURUSH NANAJI DESHMUKH (6 Volumes Set)
$115.00
Author: | Nanaji Deshmukh |
ISBN 13: | 9789351860822 |
Binding: | Hardbound |
Language: | Hindi |
Year: | 2021 |
Subject: | Biography and Autobiography |
About the Book
राष्ट्र पुरुष के चारों पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की प्रतिमूर्ति थे नानाजी। उनके विचारों के माध्यम से उनके बहुआयामी व्यक्तित्व का आईना बने हैं इस खंड में दिए गए साक्षात्कार। साक्षात् नानाजी ही जैसे आज की ज्वलंत समस्याओं पर सटीक टिप्पणियाँ करते हमारे सम्मुख बैठे हैं। केवल जिज्ञासाएँ ही शांत नहीं कर रहे अपितु स्वयं भी किसी खोज में लगे नएनए प्रश्न पैदा कर रहे हैं और फिर से उनके उत्तरों की खोजयात्रा में चल पड़े हैं। नानाजी के साथ विभिन्न माध्यमों में हुए साक्षात्कार उनके व्यक्तित्व को समग्रता से समझने में सहायक सिद्ध होंगे। इन प्रश्नों में विविधता और नानाजी के उत्तरों में समग्रता का पुट साफ झलकता है। नानाजी के बहुआयामी व्यक्तित्व को टुकड़ों में बाँटकर नहीं देखा जा सकता। मानव जीवन में जिस समग्रता के वे आग्रही थे, उन्हें भी उसी समग्रता में देखने की आवश्यकता है। आनेवाली पीढ़ी नानाजी के जीवन के हर आयाम, हर पहलू की झलक उनके बेबाक जवाबों में स्पष्ट तौर पर देख सकती है। नानाजी ने अपने सार्वजनिक जीवन के सात से अधिक दशकों में बहुत कुछ बोला और लिखा। राष्ट्रहित में उन्होंने शायद उससे भी ज्यादा अपने सीने में छुपाकर रखा।.