यह पुस्तक सभी वर्गो के लिए है। परंतु कुछ अधिक स्तर तक मैंने इसे युवाओं तथा छात्रों तक सीमित किया है। ताकि नौजवान जैसी उर्जा और जिस तरीके से चाहते हैं, उन्हें मिल सके। जीवन के सुबह और रात के कठिन दर्शन को बेहद सरल शब्दों में रखा गया है जैसा की पुस्तक का शीर्षक स्पष्ट है, तुम निराश हो? ठीक वैसा ही मार्गदर्शन आपको जिंदगी के कठिनाईयों से निकलने में यह पुस्तक करायेगी। आपको यह अनुभव होगा जैसे कोई आपके दुःखती रगों पर हाथ सहला रहा है, और प्यार की थप्पी के साथ लक्ष्य के लिए प्रेरित कर रहा है। कहीं से ये प्रवचन की भाषा नहीं दिखेगी। आपको लगेगा जैसे आपका एक मित्रा आपसे बात कर रहा है आज का प्रत्येक चौथा व्यक्ति निराश है। सपफलता के प्रारंभ में ही आशा की अपेक्षा की जाती है। फिर यदि हम निराश रहेंगे तो लक्ष्य कैसे मिलेगा? अतः जिस परिवेश में हमें जीना है और जिस वातावरण से हमे तनाव मिलता है, उसी जहर के पुडि़या में शांति की भस्म की तलाश हमें करनी पड़ेगी। हमें निराशा से घबड़ा कर मैदान छोड़कर नहीं भागना है। बल्कि वहीं जहाँ हम हैं। मजबूती से खड़ा होकर उसका उपाय ढूँढना है। तुम निराश हो? यह पुस्तक निराशा से निकलकर सफल होने की आपको संपूर्ण विधि बतायेगी ।