Description
यह एक त्रासदी है कि कुछ कहानियाँ अनकही रह जाती हैं, प्रमुख कथाओं और जटिल वास्तविकताओं के कोलाहल में खो जाती हैं। कश्मीरी हिंदुओं की कहानी ऐसी ही एक कहानी है। जब यह उपन्यास जुलाई 2018 में मूल रूप से कन्नड़ में प्रकाशित हुआ था, तब धारा 370 लागू थी। अब, इसके निरस्त होने के बाद भी, उपन्यास बहुत प्रासंगिक है। कश्मीर की सृष्टि और प्रगति का परिचय, उसके सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक आयामों से कराते हुए, यह उपन्यास न केवल कश्मीर के समकालीन और ऐतिहासिक दोनों चित्रों की कल्पना करता है, बल्कि सनातन धर्म और सेमेटिक मतों के अंतर्निहित दर्शन की भी छानबीन करता है। यह आवश्यक है कि आनेवाले दिन कश्मीर के लिए आशावाद से भरे हों। साथ ही कश्मीरी हिंदुओं की दुर्भाग्यपूर्ण कहानी को जानना भी उतना ही आवश्यक है, जो अपनी मातृभूमि से बेदखल किए गए हैं। यह उनकी कहानी है। यह कश्मीर की कहानी है।