यह कहानी नब्बे के दशक की है। उन दिनों टेलीफोन रखना आवश्यक नहीं समझते थे और अधिकतर लोग एक-दूसरे की खोज-खबर पत्राचार के माध्यम से अवगत होते थे। कागज और कलम साथ मिले तो कितनी ही बातें हो सकती हैं, लेखक ने उसी का चित्रण इस कहानी संग्रह में किया है। 'अनुपमा' नब्बे के दशक की सामाजिक स्थिति का परिदृश्य है जिसमें दोनों शिक्षित युवा अपने अन्तर्मन की कामना को परिवार के समक्ष व्यक्त नहीं कर पाते हैं और क्षणिक के लिए बिछुड़ जाते हैं। ...उस काल में हाथ से लिखी चिटि्ठयों की जीवन में कितनी भूमिका रही है जिसकी कल्पना आज कोई नहीं कर सकता है। प्रेम केवल दो युवाओं के मध्य का योग नहीं हैं बल्कि जीवन के हर स्तर पर प्रेम का महत्व है, केवल भावनाएं अलग-अलग होती है यही 'अनुपमा' का संदेश है।